शुक्रवार, 11 जुलाई 2014

शत-शत नमन करे …

ओशो ने कभी 
न गीत लिखे 
न लिखी कभी 
कोई कविता 
लेकिन उनके 
एक-एक प्रवचन 
किसी गीत किसी 
कविता से कम नहीं 
वे स्वयं में गीत है 
कविता है 
अगर उसका एक 
छंद भी 
ढंग से हमारे दिल को 
छू ले तो परिवर्तन 
निश्चित है    …। 

   ****

जीवन की रिक्त 
    पाटी पर 
जिसने पूनम 
    बन कर 
इंद्रधनुषी शाश्वत 
     रंग भरे 
आओ,आज उस  
   सद्गुरु के 
    चरणों में 
शत-शत नमन 
      करे     .... !!

9 टिप्‍पणियां:

  1. गुरु-पूर्णिमा के अवसर पर गुरु-भगिनी के इस उद्गार में मेरे भी श्रद्धा सुमन!

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  2. वाह क्या खूब र ! गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामना !

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  3. जो राह दिखाए वाही गुरु है ...
    नमन है गुरु चरणों में ...

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  4. ओशो के मुंह से उदगारित एक एक शब्द ही कविता है, सादर नमन.

    रामराम.

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